कविता |
(विविधरूपे एक जीव) |
अनामिक |
कविता |
(सांब भोळा) |
खवचट खान |
कविता |
(सूज्ञपणाचा चष्मा घालून मी) |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
कविता |
(सौंदर्याचे प्रौक्षण करुनि) |
मंदार |
कविता |
(हातसफाई - एक समृद्ध प्रयत्न) |
पाषाणभेद |
कविता |
* आपल्या दोघात...* |
Ashutosh Purohit |
कविता |
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गबाळ्या |
कविता |
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खवचट खान |
कविता |
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सुशेगाद |
कविता |
... बाकी सारे ठीक आहे ! |
मनीषा |
कविता |
..... |
अनंत ढवळे |
कविता |
.....किचनमधुनि मला उचलुनि आत धन्याने नेले..(प्रौढांसाठी :) ) |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
....तेव्हा तू मला फार फार आवडतेस....प्रवास ५ |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
....विश्वाची उलगड होते..... |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
...पाऊसगाणे... |
विदेश |
कविता |
..आयुष्याला मी सौख्याचा बाजार म्हणालो.. |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
..किती लौकरच आज उजाडलं बाई.. |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
..कुणी दार माझे ठोठावले.. |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
..कोणी कसाब झाले,कोणी कलाम झाले.. |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
..तिथे ती भेटते |
anant_yaatree |
कविता |
..तुझे टाळतो मी अताशा शहर.. |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
..तुला पाहण्याचा मला छंद राणी.. |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
..तेव्हा मला तू फार फार आवडतेस..प्रवास ४ |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
..थांबले ट्राफीक आता... |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
..मला मात्र पत्नी गोरी हवी.. |
कानडाऊ योगेशु |