कविता |
संभोगस्वप्न |
सुशेगाद |
कविता |
सावली |
वसंत साठये |
कविता |
!! नालायक !! |
गौरवखोंड |
कविता |
" घराण्याची राणी " |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
" भारतीय मी, या देशाचा बाळगतो अभिमान ! " |
विदेश |
कविता |
" | पालखीच्या सोहळ्यात | " |
विदेश |
कविता |
" आज मराठी भाषा- दीन ! " |
विदेश |
कविता |
" आम्ही वारकरी, निघालो पंढरपुरी - " |
विदेश |
कविता |
" आरती कंत्राटदाराची - " |
विदेश |
कविता |
" किती अडवू मी अडवू कुणाला ... (विडंबन) |
विदेश |
कविता |
" चार चारोळ्या - " |
विदेश |
कविता |
" तो एक पदर मायेचा ... " |
विदेश |
कविता |
" धन्य आज दर्शनाने तुझ्या - " |
विदेश |
कविता |
" धूर्त , चतुर वगैरे ..." |
मिलिन्द |
कविता |
" न्यू जर्सीतील दाढीवाले" |
मिलिन्द |
कविता |
" प्राप्त त्या दिनाला"/ Ode I-XI : “Carpe Diem”: Horace |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
" बया आज माझी नसे वात द्याया - " (विडंबन) |
विदेश |
कविता |
" मैत्री - " |
विदेश |
कविता |
" शोध तिचा लागेना ...! " |
विदेश |
कविता |
" हे माझे पंढरपूर ! " |
विदेश |
कविता |
""श्रीमंत" लोक कसे रहातात" |
मिलिन्द |
कविता |
"'झुका" म्हणे माठ्या " |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"...कविता कविता कविता..." |
विदेश |
कविता |
"अंततः" (सुनीत) |
अमेय६३७७ |
कविता |
"अमेरिकन पार्टी मध्ये भारतीय बाला" |
मिलिन्द |