कविता |
"अमेरिका द ब्युटिफुल" |
मिलिन्द |
कविता |
"असं वाटायचं" |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"आजचा भारत" अर्थात "रावल्या अखेर विमानात चढला त्याची गोष्ट" |
मिलिन्द |
कविता |
"कविता महानगरी" |
मिलिन्द |
कविता |
"काय वर्ष होतं यार!" |
मिलिन्द |
कविता |
"काळ्या शुक्रवार"ची कथा |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"कोव्हिडच्या रात्री" |
मिलिन्द |
कविता |
"चाळिशीचे पुरुष" |
मिलिन्द |
कविता |
"चुत्या" ठरवलं जाण्याच्या भीतीत .... |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"जाड जाहले बूड " |
मिलिन्द |
कविता |
"जित्या डी एन ए चा " |
मिलिन्द |
कविता |
"जेसन आणि बेडूक" |
मिलिन्द |
कविता |
"झिझेक-ग्रस्त बदकाची कैफियत" |
मिलिन्द |
कविता |
"झेंडूची फुले" हा सुप्रसिद्ध कवितासंग्रह रचणार्या प्र. के. अत्रेंच्या स्वर्गस्थ आत्म्याने मला स्फुरवलेले मनाचे श्लोकाष्टक |
एक मराठी असामी |
कविता |
"तातू, डुकऱ्या आणि बकबक" |
मिलिन्द |
कविता |
"तिच्याबरोबर, पुन्हा एकदा!" |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"तू " अधिक " मी " किती ? |
khilaji |
कविता |
"ते" तुम्हीच आहात का? |
मिलिन्द |
कविता |
"तेंव्हा कोठे कविसंमेलने कमी झाली!" |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"थोडी आता दया करा" |
मिलिन्द |
कविता |
"दर वेळी, पुणे सोडताना" |
मिलिन्द |
कविता |
"देह्तराणे" |
अमेय६३७७ |
कविता |
"नक्षत्रांचे देणे/ सदाचेच उणे " |
मिलिन्द |
कविता |
"नवे, जखमी , आधुनिकोत्तर" |
मिलिन्द |
कविता |
"नौकानयनातील प्रगती" |
मिलिन्द् पद्की |