कविता |
"चाळिशीचे पुरुष" |
मिलिन्द |
कविता |
"तातू, डुकऱ्या आणि बकबक" |
मिलिन्द |
कविता |
"जाड जाहले बूड " |
मिलिन्द |
कविता |
खरे सत्य बोला |
मिलिन्द |
कविता |
मौलिक पटेलच्या यशाचे रहस्य |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
" प्राप्त त्या दिनाला"/ Ode I-XI : “Carpe Diem”: Horace |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
चार अपशब्द |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
ॐ ऐं र्हीं फट चिकन: स्वाहा! |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"ॐ श्री शतायुषी स्तोत्र" |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
संध्यात्रस्त पुरुषांची भक्षणे |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"मूक-बधिरांचे गाणे" ((भाषांतरित)) |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
मशिनार्पणम अस्तु! |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"पांढरे केस" |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
चिदग्निकुंडसंभूता "गार्गी" (व तिचा बाप, मी !) |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"वाट बघ आता" |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"काळ्या शुक्रवार"ची कथा |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"असं वाटायचं" |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
हिमकण बघते माऊ |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"'झुका" म्हणे माठ्या " |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
डाळिंब-हृदय |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"तिच्याबरोबर, पुन्हा एकदा!" |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"प्रिये लेस्बियने" |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
साम्राज्याचे येणे |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"संदीप खरे कवी साला , मनामध्ये डाचतो आहे!" |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
" घराण्याची राणी " |
मिलिन्द् पद्की |