कविता |
लष्करी हुकूम अर्थात आर्मी कमांड्स |
पाषाणभेद |
कविता |
काय करावे या किड्याला ? |
अतृप्त आत्मा |
कविता |
पांडूरंग माझा गरीब राहू द्या |
पाषाणभेद |
कविता |
सर आले दुरुनी (विडंबन) |
विदेश |
कविता |
विश्वासघात करतो माणूस ना मुळी तो ! |
विदेश |
कविता |
बाई माझी, ही तंगडी मोडली |
विदेश |
कविता |
युगलगीत: ओठ गुलाबी काय नकळत बोलले |
पाषाणभेद |
कविता |
तुरे |
रुची |
कविता |
हवीच असते मी! |
नगरीनिरंजन |
कविता |
तो एक लाज-पुत्र |
अतृप्त आत्मा |
कविता |
जीवन |
विदेश |
कविता |
थंडी माघाची |
पाषाणभेद |
कविता |
" शोध तिचा लागेना ...! " |
विदेश |
कविता |
शोधत-शोधत |
धनंजय |
कविता |
नको रे कान्हा |
पाषाणभेद |
कविता |
काय सैपाक काय करू मी बाई |
पाषाणभेद |
कविता |
" भारतीय मी, या देशाचा बाळगतो अभिमान ! " |
विदेश |
कविता |
सरदार सरदार |
पाषाणभेद |
कविता |
माझ्या मना |
पाषाणभेद |
कविता |
नियती |
हरवलेल्या जहाजा... |
कविता |
ते सर्व! |
हरवलेल्या जहाजा... |
कविता |
काय करावे मन तळमळते ! |
विदेश |
कविता |
अवघे जग माझ्या विठ्ठलाचे झाले ! |
विदेश |
कविता |
तुटलेल्या मैत्रीणीस :२ |
हरवलेल्या जहाजा... |
कविता |
रिकाम्या अपार्टमेंटमधलं मांजर - विस्लावा झिम्बोर्स्का |
चिंतातुर जंतू |