कविता |
उठ भक्ता जागा हो |
स्वयंभू |
कविता |
तीन विरंगुळ्या |
विदेश |
कविता |
गेले राहून काही |
शान्तादुर्गा |
कविता |
कवितेनंतर |
anant_yaatree |
कविता |
"ते" तुम्हीच आहात का? |
मिलिन्द |
कविता |
इलेक्शनी- चारोळ्या |
विवेक पटाईत |
कविता |
माणूस |
विदेश |
कविता |
ओंजळीत शब्द मोजकेच माझ्या |
khilaji |
कविता |
अस्मिताची कविता |
शिवोऽहम् |
कविता |
प्राक्तन |
अमुक |
कविता |
विसरुनी गेलो होतो |
प्रमोदिनी नाईक |
कविता |
हाक |
anant_yaatree |
कविता |
"वाग्युद्ध" (विंदांची क्षमा मागून!) |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
शहराकडून "बा" चा फून आला |
khilaji |
कविता |
शोध माझ्यातला |
पाषाणभेद |
कविता |
पत्र |
anant_yaatree |
कविता |
त्या गेंड्याची दोन पावले - (विडंबन) |
विदेश |
कविता |
भयानकरस:१ |
डॉ. एस. पी. दोरुगडे |
कविता |
ताज्या क्षणिका – सत्तेचा आनंद, नागपुरी संत्रा आणि टोल |
विवेक पटाईत |
कविता |
तेरे नाम का दौर व अन्य कविता |
सहेली तिज्जन |
कविता |
यत्र तत्र सर्वत्र |
स्वयंभू |
कविता |
बॉम्बस्फोट आणि शहर |
चांदणेसंदीप |
कविता |
अंत आणि आरंभ |
विवेक पटाईत |
कविता |
नको रे कान्हा |
पाषाणभेद |
कविता |
निघाली खाशी हो स्वारी ... |
विदेश |