तब तुम कहॉं थे?
लंचटाईम में जब मैंने पाया
टिफिनबाक्स में लड्डू है आया
तिलमिलाके झट से उसे
खिडकी से बाहर फेंक दिया
हफ्तेभर पहले जब याद किया था
भूक से जब बिलबिला रहा था
ऐ रासभ के अन्न
तब तुम कहॉं थे?
शाम को जब मैं घर को आया
टामी कुत्ता फुला न समाया
कमर में मारी लात घुमा के
दुम हिलाते जब पास आया
जब मैं छोटा बच्चा था
दो-दो कुत्तों ने काटा था
ऐ नमकहरामी कुत्ते
तब तुम कहॉं थे?
पापा, आज मैं बाईक से गिर गया
बेटा पास आके रो दिया
टूटे हाथ को अनदेखा करके
उलटा उस पे मैं चिल्लाया
जब मैं स्कूल में जाता था
और साईकल से गिरता था
ऐ शैतान की औलाद
तब तुम कहॉं थे?
मामुली सा आदमी पिट रहा था
जब मैं घूमने निकल गया था
दो-चार पत्थर मैं ने भी मारे
जब झुॅंड उसे कुचल रहा था
पिछले साल जब ऐसा हुअा था
किसी गरीब को ऐसे कुचला था
ऐ कमनसीब कमीने
तब तुम कहॉं थे?
प्रतिक्रिया
अप्रतिम !
केवळ अप्रतिम....
तुम्ही कविता नीट वाचली हे
तुम्ही कविता नीट वाचली हे गृहीत धरुन धन्यवाद!
:-)
तुमचे गृहीतक अगदी बरोबर आहे..
तुमचे गृहीतक अगदी बरोबर आहे.. :bigsmile:
हं. अर्थात आवडलीच.
हं. अर्थात आवडलीच.
आधी अनुवादाचा विचार केला पण
आधी अनुवादाचा विचार केला पण अश्यासाठी हिंदीचा वापर करणेच हेच मुळात नेमके नी बोलके आहे
आवडली!
- ऋ
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लव्ह अॅड लेट लव्ह!
छान
नेमकी, समयोचित कविता.
है शाबास!
आवडली. पहिलं कडवं विशेष!
-Nile