इंटरनेट कनेक्शन - भाग १
"उपकार?"
"हां हां उपकार."
"वो कैसे?"
"हम आपको टेलिफोन देकर आपकी सेवा ही तो करते है."
"तो सेवा बोलिए ना. ए उपकार कहां से आ गया?"
"जोशीजी, हम आपकी सेवा करते है ये आखिर आप पर उपकार ही तो हुआ ना?"
"तो अब क्या सोची है? उपकार करना बंद करोगे?"
"अरे नहीं बाबू, धीरज रखो."
"वो तो मैं साल से रख रहा हूं. एक तो मै गलती से भी सरकारी कनेक्शन न लेता. लिया है तो केवल अॅड्रेस प्रूफ के लिये. सोचा लिया ही है तो इसी पे ब्रोडबँड भी लेते है. पण आपका फोन ५०% टाइम डाउन होता है. फिर २५% टाइम नेट डायलही नही होता. और बचे हुए २५% टाइम डी एन एस सर्वर डाउन होता है."
"वो डी एन एस तो पिछे से होता है जी"
"तिवारीजी, वो पिछवाडा भी तो आप ही का होगा. कभी उस को पर्मॅनंट दुरुस्त कर लेना."
"ओ जी काम चालू है."
"सिवाय आपका नेट हमेशा फ्राय डे नाईट को डाउन रहता है. कंप्लेट करो तो बुधवार को ठिक हो जाता है और फिर फ्रायडे नाईट को गुल. आपका कॉल सेंटर भी हमेशा बंद रहता है उस तरफ जो भी बैठा है उसको इंटरनेट के बेसिक्स मुझे ही सिखाने पडते है."
"जोशीजी, आप बहुत नाराज हो जाते हो."
"वो जी नै जी. हर महिने १२०० रुपये का चढावा एम टी एन एल को और १२.३६% का चढावा सरकार को लगाता हूं. नराज होता तो थोडी ही ना लगाता."
"वैसे जोशीजी, आप पहाडोंवाले जोशी हो या प्लेन्स वाले?"
"उससे क्या मतलब? मैं न पहाडों वाला हूं न प्लेन्स वाला. गढ्ढों से हूं. एक महिने में कनेक्शन ठिक नहीं चला तो बंद कर दूंगा."
"ऐसी नौबत नहीं आएगी. २-३ दिनों में काम हो जाएगा."
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"क्या जोशीसाब, परेशान लग रहे हो?"
"कुछ नहीं जी, अभी अभी एम टी एन एल के कस्टमर केअर को फोन कर चुका. बकवास है साले."
"बात क्या है?"
"फोन डाउन है. बेसिकली नेट डाउन है."
"तो कस्टमर केअर को क्यों फोन करते हो?"
"?"
"चलो, मैं तुम्हारा काम करवा देता हूं."
"वो कैसे?"
"अरे वो, मेडिको के दुकान के पास जाओ. उसको लाइनमॅन कब आनेवाला पुछो. लाइनमॅन तुरंत लाइन ठिक करके देगा.
+++++++++
"हो गया जी, हो गया."
"घर में जा के चेक करू?"
"कोई गल नहीं जी, जरूर करो."
"आपका मोबाईल दो."
"इ लो."
"पर आप शुक्रवार रात को ड्यूटी पर नहीं होते होंगे?"
"नौबत नहीं आयेगी जी."
"ठिक."
"....."
"ऐसे लंबी देर मेरा मुंह ताकने का क्या मतलब?"
"क्या साब, आप भी दुनियादारी नहीं जानते क्या?"
"तुम्हे घुस चाहिए? कितनी?"
"दे दो साब. आपकी मर्जी."
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"देखिए आप दो बार फोन काट चुके है. मुझे इंफो बार बार नए इंसान को बतानी पडती है. इस बार फोन ना काटना."
"आपका नाम?"
"एक्स एक्स"
"जनम तारीख?"
"वाय वाय"
"माँ का नाम?"
"झेड झेड"
"नंबर?"
"उसीसे तो फोन कर रहा हूं."
"फिर भी बताएं"
"एन एन."
"कब लिया कनेक्शन?"
"इससे क्या मतलब? उस वक्त आसमान में तारे कैसे थे इससे नेट चलेगा कि नहीं ये तय होगा?"
"लास्ट बिल?"
"नहीं देना चाहिए था."
"?"
"मेरी सारी कंप्लेट्स देखो. मेरा नेट लास्ट १५ दिन से नहीं चल रहा. हर बार मुझे बोला गया कि २-३ में प्रॉब्लेम सॉल्व होगा. अगर नेट देना आपके बस कि बात नहीं तो वैसे बोल दो."
"आपके कंप्लेंट पे काम चल रहा है."
"चलो, मुझे इतना बता दो, मेरे पडोसियों को आप ही कि अच्छी सेवा मिलती है, मुझे ही क्यों प्रोब्लेम आता है? कहीं आपके लोग कस्टमर डायवर्ट करने के लिए एअरटेल से पैसे तो नहीं खाते?"
"उसकी मुझे आयडीया नहीं है."
"आप प्रॉपर एम टी एन एल के एंप्लोयी होंगे. कॉल सेंटर कंपनी के नही होंगे."
"आपने कैसे पहचाना?"
"पता चलता है. किसी दुसरी जगह अब तक पचास बार 'सर' शब्द आता."
"अजी ए सब अंग्रेजी नौटंकियां हैं."
"खैर चलो, मेरा कनेक्शन कब दुरुस्त होगा?"
"२-३ दिन. बस्स. और मै आपके सर्कल इन्चार्ज का फोन देता हूं. आप भी लगे रहना."
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"आज मैं कनेक्शन सरेंडर कर के आयी."
"गुड. सरदर्द टला."
"पता है क्या हुआ?"
"क्या?"
"फॉर्म में लिखा था - आप कनेक्शन क्यों सरेंडर करना चाहते हो? उसके ऑप्शन्स थे. मैंने टिक किया - डिससॅटिसफॅक्टरी सर्विस. बस, वो अफसर आगबबूला हो गया. हमारी नोकरी चली जाएगी, यूं, त्यूं."
"फिर?"
"मैंने कहा ऐसा है तो मै वो जगह ब्लँक रखती हूं. पर उसने कहा- भारत सरकार के नियमानुसार आप बेवजह फोन कनेक्शन सरेंडर नहीं कर सकते. आपको रिजन लिखना ही पडेगा."
"आँ?"
"फिर मैंने लिख दिया - अचानक तंगी के हालात चालू हो गए है. सरेंडर नही किया तो बिल नहीं दे पाएंगे - और साइन मार दी."
:)
--मनोबा
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संगति जयाच्या खेळलो मी सदाहि | हाकेस तो आता ओ देत नाही
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memories....often the marks people leave are scars
आवडलं
आवडलं
- ऋ
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लव्ह अॅड लेट लव्ह!
(No subject)
हॅहॅहॅ... मस्तं!
हॅहॅहॅ... मस्तं!
आधी रोटी खाएंगे, इंदिरा को जिताएंगे !
आवडलं. खाजगी टेलिफोन
आवडलं.
खाजगी टेलिफोन सेवादात्याकडून माझा सुमारे असाच अनुभव आहे.
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ऐसीवरील गमभन इतरांपेक्षा वेगळे आहे.
प्रमाणित करण्यात येते की हा आयडी एमसीपी आहे.
हा हा
हा हा
च्यायला. जबरीच!!!!
च्यायला. जबरीच!!!!
माहिष्मती साम्राज्यं अस्माकं अजेयं
दिल्लीत काय करताय? या
दिल्लीत काय करताय? या पुण्यात, बीएसएनेल चांगलं आहे.
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सांगोवांगीच्या गोष्टी म्हणजे विदा नव्हे.
हुं:
डालरच्या देशात, गार गार एसीमधे, गुबगुबीत खुर्चीवर बसून हाकलेल्या शेळ्या. ज्यांना फक्त 'आपल्याकडेही इंटरनेट आहे बरं का' एवढं सांगण्यापुरतं हवं असतं त्यांनाच बीएसएनएल पावतं. थोडक्यात इंटरनेट-च्यालेन्ज्ड लोकांसाठी आहे ते.
I think therefore you are wrong!
-Ramata De-scare-de
+१
+१
शिवाय ही मंडळी स्वतः तिथे सर्वत्र आख्ख्या शहरभर होत असलेल्या दणदणीत wi fi वर्षावाचा लुत्फ घेत आपल्याला शाणपणा शिकवतात
--मनोबा
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संगति जयाच्या खेळलो मी सदाहि | हाकेस तो आता ओ देत नाही
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memories....often the marks people leave are scars
बीएसएनेल चा माझा अनुभव
बीएसएनेल चा माझा अनुभव सगळ्यात बेस्ट आहे.
पण ही स्पेसिफिकली जोशींसाठीची सर्विस दिसतेय..
-: आमचे येथे नट्स क्रॅक करून मिळतील :-
अचानक तंगी के हालात चालू हो
अचानक तंगी के हालात चालू हो गए है. सरेंडर नही किया तो बिल नहीं दे पाएंगे - और साइन मार दी."
हान तेजायला.