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⭐️⭐️वारसा प्रेमाचा - आजोबा-नातवाचं हृद्य नातं! ⭐️⭐️ |
चित्रा राजेन्द्... |
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“अंतर्यामी खजुराहो”ची मालिका येऊ दे… |
युसुफ शेख |
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’मी...ग़ालिब' ला भेटताना... |
रमताराम |
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’असलेपणा’तला बोर्हेस! |
मणिकर्णिका |
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‘हार्ड लेबर’ – आधुनिक जगण्याचा भयपट |
चिंतातुर जंतू |
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‘स्वत:ला फालतू समजण्याची गोष्ट’..... |
चित्रा राजेन्द्... |
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‘व्हॉय वी ट्रीट एनीमल्स लाइक एनीमल्स’-रैक्स हैरिसन |
रवींद्र दत्तात्... |
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‘रण-दुर्ग’ : मिलिंद बोकील |
चित्रा राजेन्द्... |
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‘बाई, अमिबा आणि स्टील ग्लास' - किरण येले ह्यांच्या साहित्यकृतींवर आधारित नाट्यप्रयोग... |
चित्रा राजेन्द्... |
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‘फायनल ड्राफ्ट’ |
Madhura Kulkarni |
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‘नर्मदेऽऽ हर हर..’ |
चित्रा राजेन्द्... |
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‘द रीडर’... अनुवादः अंबिका सरकार |
चित्रा राजेन्द्... |
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‘त्रिगुणी’ व्यक्तिमत्त्वातून साकारलेली... ‘त्रिपुटी!’ |
चित्रा राजेन्द्... |
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‘गुजरा हुआ जमाना...’ |
स्नेहांकिता |
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‘गिधाडे’, ‘लॉन्ग डेज जर्नी इन्टू दी नाईट’ आणि ‘कपूर अँड सन्स’ |
सन्जोप राव |
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‘खिडक्या अर्ध्या उघड्या’ --- कथामालिका की चित्रपट? |
चित्रा राजेन्द्... |
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‘कहानी’ चित्रपटाविषयी एक मुक्तचिंतन |
चिंतातुर जंतू |
समीक्षा |
‘कमला’चे दोन शेवट |
विनय दाभोळकर |
समीक्षा |
‘एक झाड आणि दोन पक्षी’ --- लेखक: विश्राम बेडेकर. |
चित्रा राजेन्द्... |
समीक्षा |
‘अंतरीचे धावे’ - भानू काळे |
चित्रा राजेन्द्... |
समीक्षा |
‘And the Band Played On’ - एड्स, राजकारण आणि समाजकारण |
अबापट |
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३ आवडते चित्रक्षण |
अस्वल |
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१९२७ पॅरिस | गतशतकातल्या महत्त्वाच्या टप्प्यावरचं हॉटेलजीवन |
आदूबाळ |
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१९०० | पालगड.. |
गवि |
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१८८९ मुंबई । सामाजिक संक्रमणावस्थेतले महानगर |
शैलेन |