कविता |
प्रॉब्लेम क्या है? |
काव्या |
कविता |
पाय मोकळे करून आल्यानंतर लिहिलेली कविता |
कान्होजी पार्थसारथी |
कविता |
दखल |
कान्होजी पार्थसारथी |
कविता |
..तुला पाहण्याचा मला छंद राणी.. |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
तेव्हा मला तू फार फार आवडतेस...प्रवास २ |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
तेव्हा मला तू फार फार आवडतेस - प्रवास ३ |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
..विचारेन त्यालाच कॉफी चहा.. |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
..तुझे टाळतो मी अताशा शहर.. |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
..किती लौकरच आज उजाडलं बाई.. |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
..कोणी कसाब झाले,कोणी कलाम झाले.. |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
..वॉन्टेड.. |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
.....किचनमधुनि मला उचलुनि आत धन्याने नेले..(प्रौढांसाठी :) ) |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
....विश्वाची उलगड होते..... |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
..थांबले ट्राफीक आता... |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
..कुणी दार माझे ठोठावले.. |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
....तेव्हा तू मला फार फार आवडतेस....प्रवास ५ |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
तेव्हा मला तू फार फार आवडतेस...! |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
..तेव्हा मला तू फार फार आवडतेस..प्रवास ४ |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
..मला मात्र पत्नी गोरी हवी.. |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
..आयुष्याला मी सौख्याचा बाजार म्हणालो.. |
कानडाऊ योगेशु |
कविता |
घर |
कांचन दिलीप सापटणेकर |
कविता |
नको उदास बसू |
कांचन दिलीप सापटणेकर |
कविता |
जिप्सी |
कांचन दिलीप सापटणेकर |
कविता |
लेखाजोखा |
कांचन दिलीप सापटणेकर |
कविता |
चाॅकलेटं |
कांचन दिलीप सापटणेकर |