कविता |
असा एकांत हा |
स्वयंभू |
कविता |
रोजदांजी कथोकल्पित |
स्वयंभू |
कविता |
बघण्याची insight |
स्वयंभू |
कविता |
इथे माणूस मरतो |
स्वयंभू |
कविता |
मीरा |
शान्तादुर्गा |
कविता |
अजून एक नकार मोहोरला |
khilaji |
कविता |
"तू " अधिक " मी " किती ? |
khilaji |
कविता |
दोन मोती, दूर दूर शिंपल्यामध्ये वाढले |
khilaji |
कविता |
बाईंना केळे आवडते , म्हणून बाग केली |
khilaji |
कविता |
माझ्या आयटमचा बाप |
khilaji |
कविता |
वळूनी मागे मी बघता , शल्य बोचते मनाला |
khilaji |
कविता |
नकळत |
anant_yaatree |
कविता |
मीच आहे तो,,, अनभिषिक्त सम्राट |
khilaji |
कविता |
जोर काढुनी पोर काढलं , काट्यावरचं बोर निघालं |
khilaji |
कविता |
एक वेळ अशी येते कि |
khilaji |
कविता |
शहराकडून "बा" चा फून आला |
khilaji |
कविता |
च्या मारी लय भारी , आपली लव्हस्टोरी एकदम न्यारी |
khilaji |
कविता |
अपेक्षित... |
आकाश होगाडे |
कविता |
ती पण आता पुसट वाटू लागलीय |
khilaji |
कविता |
निष्ठुर कली मन अन कीर्तन मायेचे |
khilaji |
कविता |
सुंदरी चिचुंद्री निघाली |
khilaji |
कविता |
मारवा |
शिवोऽहम् |
कविता |
गूज |
शिवोऽहम् |
कविता |
तप |
शिवोऽहम् |
कविता |
पिंपळ |
शिवोऽहम् |