समीक्षा |
वासेपूर |
आळश्यांचा राजा |
समीक्षा |
१९०० | पालगड.. |
गवि |
समीक्षा |
नामदेव ढसाळ |
सतीश वाघमारे |
समीक्षा |
निकाल।लागला! |
adv. Haridas Um... |
समीक्षा |
Belle de jour - स्त्रीच्या लैंगिकतेचा शोध |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
समीक्षा |
कटु सत्य |
धनंजय वैद्य |
समीक्षा |
कोर्ट |
सव्यसाची |
समीक्षा |
जियो राघवन! अर्थात अंधाधून! |
अस्वल |
समीक्षा |
'काजळमाया' आणि हेन्री डेव्हिड थोरोंचे माझे आयुष्य बदलवणारे वाक्य |
अनिरुद्ध गोपाळ ... |
समीक्षा |
लाईफ ऑफ पाय : मला भलताच आवडलेला चित्रपट |
विसुनाना |
समीक्षा |
एका खेळियाने |
सन्जोप राव |
समीक्षा |
'द डर्टी पिक्चर' |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
समीक्षा |
’असलेपणा’तला बोर्हेस! |
मणिकर्णिका |
समीक्षा |
खिचडी - हिंदी चित्रपटातील आधुनिकोत्तर कलात्मकता |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
समीक्षा |
विश्राम बेडेकरः "रणांगण" |
रोचना |
समीक्षा |
चुकवू नये अशी - कहानी |
नगरीनिरंजन |
समीक्षा |
निवडक नरहर कुरुंदकर - खंड १ : व्यक्तिवेध |
चिंतातुर जंतू |
समीक्षा |
सभ्यतेच्या मुखवट्यावरील ओरखडे- एक चावट संध्याकाळ |
सन्जोप राव |
समीक्षा |
तिरंगा |
फारएण्ड |
समीक्षा |
रोड मूव्ही - एक सशक्त, अभिजात विधा |
चिंतातुर जंतू |
समीक्षा |
'डाऊनटन ॲबी' : स्मरणरंजनी कळा |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
समीक्षा |
१९२७ पॅरिस | गतशतकातल्या महत्त्वाच्या टप्प्यावरचं हॉटेलजीवन |
आदूबाळ |
समीक्षा |
"शोध": खूपसं कौतुक आणि मोजक्या तक्रारी |
आदूबाळ |
समीक्षा |
"डिफिकल्ट डॉटर्स" |
अशोक पाटील |
समीक्षा |
बीबीसीआय ला जीआयपीचा डबा - रेल्वे ब्लूपर्स |
फारएण्ड |