कविता |
[काहीच्या काही कविता] आयचाघोरसचा सिद्धांत |
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हे |
नितिन थत्ते |
सोमवार, 08/10/2012 - 14:57 |
ललित |
एका लाडक्याचा पन्नासावा वाढदिवस |
जेम्स बाँडचे मी घेतलेले हे |
सागर |
सोमवार, 08/10/2012 - 14:53 |
चर्चाविषय |
उधळपट्टी |
मूळा निबंध वाचलेला नाही पण |
नितिन थत्ते |
सोमवार, 08/10/2012 - 14:52 |
ललित |
एका लाडक्याचा पन्नासावा वाढदिवस |
वा! |
ऋषिकेश |
सोमवार, 08/10/2012 - 14:50 |
चर्चाविषय |
सध्या काय वाचताय? - भाग २ |
पुण्याची अपूर्वाई |
ऋषिकेश |
सोमवार, 08/10/2012 - 14:42 |
कविता |
स्वप्न (बहुतेक) |
माझ्या माहितीप्रमाणे आरसपानी |
स्नेहांकिता |
सोमवार, 08/10/2012 - 14:14 |
कविता |
[काहीच्या काही कविता] आयचाघोरसचा सिद्धांत |
शेवटी सेक्स + टॅन्क्स = एक |
पाषाणभेद |
सोमवार, 08/10/2012 - 13:45 |
कविता |
[काहीच्या काही कविता] आयचाघोरसचा सिद्धांत |
अगदीच 'व्यास'पूर्ण कविता. |
रमताराम |
सोमवार, 08/10/2012 - 13:28 |
कविता |
[काहीच्या काही कविता] आयचाघोरसचा सिद्धांत |
एपेक्स ओफ नर्डीझ्म |
संकेत |
सोमवार, 08/10/2012 - 12:05 |
ललित |
एका लाडक्याचा पन्नासावा वाढदिवस |
पेक्षा नाही नंतर |
मंदार जोशी |
सोमवार, 08/10/2012 - 10:51 |
चर्चाविषय |
उधळपट्टी |
+१
समता ही गोष्ट उदात्त असली |
प्रसाद |
सोमवार, 08/10/2012 - 10:25 |
चर्चाविषय |
उधळपट्टी |
चिकटवतो... |
तर्कतीर्थ |
सोमवार, 08/10/2012 - 10:22 |
चर्चाविषय |
उधळपट्टी |
रसलच्या या निबंधाचं तुम्ही |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
सोमवार, 08/10/2012 - 10:20 |
चर्चाविषय |
उधळपट्टी |
असमतोल |
प्रकाश घाटपांडे |
सोमवार, 08/10/2012 - 10:19 |
रिकामे धागे |
खिळे |
प्रतिक्रिया |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
सोमवार, 08/10/2012 - 10:17 |
कविता |
लबाड कान्हा .. खट्याळ कान्हा ... |
सहमत आहे. |
पाषाणभेद |
सोमवार, 08/10/2012 - 07:47 |
कविता |
कस्सा राव थांबू... |
अरे काय हे! |
पाषाणभेद |
सोमवार, 08/10/2012 - 07:46 |
ललित |
एका लाडक्याचा पन्नासावा वाढदिवस |
वेट |
अशोक पाटील |
रविवार, 07/10/2012 - 23:58 |
कविता |
लघु वाल्गुदभारत- भाग २. |
खतर्नाक ! |
अमुक |
रविवार, 07/10/2012 - 23:37 |
कविता |
वर्तमानाचा अभन्ग |
सुंदर |
अनिल तापकीर |
रविवार, 07/10/2012 - 22:40 |
कविता |
" मैत्री - " |
उपकार होतील खूप तुझे
देवा, |
अनिल तापकीर |
रविवार, 07/10/2012 - 22:39 |
कविता |
जातधर्म |
म्हणतात ना जात नाहि ति |
अनिल तापकीर |
रविवार, 07/10/2012 - 22:37 |
कविता |
कस्सा राव थांबू... |
छान |
अनिल तापकीर |
रविवार, 07/10/2012 - 22:35 |
कविता |
लबाड कान्हा .. खट्याळ कान्हा ... |
मोजक्या शब्दातले कन्हैयाच्या |
अनिल तापकीर |
रविवार, 07/10/2012 - 22:34 |
कविता |
स्वप्न (बहुतेक) |
छान आहे. |
अनिल तापकीर |
रविवार, 07/10/2012 - 22:32 |