कविता |
हे सव्यसाची, |
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कविता |
कळी म्हणते कळीला... |
कोमल मानकर |
कविता |
|| "ऐसी" हुच्चभ्रूंची लक्षणे || |
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कविता |
साद |
राव पाटील |
कविता |
रमलखुणांची भाषा |
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कविता |
चारोळी |
श्रीगणेश |
कविता |
आकाश, सागर आणि धरती |
श्रीगणेश |
कविता |
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गबाळ्या |
कविता |
वात्रटिका |
श्रीगणेश |
कविता |
चारोळी |
श्रीगणेश |
कविता |
"पांढरे केस" |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
हिमकण बघते माऊ |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
" घराण्याची राणी " |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"नौकानयनातील प्रगती" |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
'गुडूप अंधार' |
सर्व_संचारी |
कविता |
एका अनावर कैफात |
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कविता |
"मूक-बधिरांचे गाणे" ((भाषांतरित)) |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"वाट बघ आता" |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
"प्रिये लेस्बियने" |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
कौतुक कशासाठी? |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
“Song of the Immigrant Indian” |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
" प्राप्त त्या दिनाला"/ Ode I-XI : “Carpe Diem”: Horace |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
संध्यात्रस्त पुरुषांची भक्षणे |
मिलिन्द् पद्की |
कविता |
प्रदूषण- पाऊस (१) - भूत आणि वर्तमान |
विवेक पटाईत |
कविता |
डाळिंब-हृदय |
मिलिन्द् पद्की |