कविता |
गूज |
शिवोऽहम् |
कविता |
(वाईट) साईट-सीईंग |
शिवोऽहम् |
कविता |
माझ्यासारखं प्रेम कुणी केलंच नाही |
khilaji |
कविता |
बळीराज किंकर अख्नंडीत माझे |
khilaji |
कविता |
माळढोक पर्वाचा अंत झाला |
khilaji |
कविता |
सुंदरी चिचुंद्री निघाली |
khilaji |
कविता |
दुर्दम्य |
शिवोऽहम् |
कविता |
एवढंच करा. |
अंतराआनंद |
कविता |
पिंपळ |
शिवोऽहम् |
कविता |
छद्मपिपासा |
शिवोऽहम् |
कविता |
तृष्णा |
शिवोऽहम् |
कविता |
तप |
शिवोऽहम् |
कविता |
मारवा |
शिवोऽहम् |
कविता |
निष्ठुर कली मन अन कीर्तन मायेचे |
khilaji |
कविता |
ती पण आता पुसट वाटू लागलीय |
khilaji |
कविता |
अपेक्षित... |
आकाश होगाडे |
कविता |
च्या मारी लय भारी , आपली लव्हस्टोरी एकदम न्यारी |
khilaji |
कविता |
शहराकडून "बा" चा फून आला |
khilaji |
कविता |
जोर काढुनी पोर काढलं , काट्यावरचं बोर निघालं |
khilaji |
कविता |
एक वेळ अशी येते कि |
khilaji |
कविता |
मीच आहे तो,,, अनभिषिक्त सम्राट |
khilaji |
कविता |
वळूनी मागे मी बघता , शल्य बोचते मनाला |
khilaji |
कविता |
नकळत |
anant_yaatree |
कविता |
|| "ऐसी" हुच्चभ्रूंची लक्षणे || |
anant_yaatree |
कविता |
दोन मोती, दूर दूर शिंपल्यामध्ये वाढले |
khilaji |